देशभर में SIR लागू करने की तैयारी: चुनाव आयोग ने सभी राज्यों को 30 सितंबर तक मतदाता सूची सुधारने का दिया निर्देश
बिहार में 65 लाख वोटरों के नाम कटने के बाद उठे विवाद के बीच चुनाव आयोग ने SIR को पूरे देश में लागू करने की योजना बनाई है। बंगाल में भी इस प्रक्रिया को लेकर सियासी संग्राम तेज हो चुका है।


रायपुर, 11 सितम्बर 2025: बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर मचे राजनीतिक बवाल के बीच अब चुनाव आयोग ने इसे पूरे देश में लागू करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। दिल्ली में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार की अध्यक्षता में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को 30 सितंबर तक SIR की तैयारी पूरी करने का निर्देश दिया गया है।
क्या है SIR प्रक्रिया
विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) चुनाव आयोग की एक नियमित प्रक्रिया है जिसके तहत मतदाता सूची को अद्यतन किया जाता है। इस प्रक्रिया में निम्नलिखित कार्य किए जाते हैं:
- मृत व्यक्तियों के नाम सूची से हटाना
- 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके नागरिकों के नाम जोड़ना
- स्थानांतरण या क्षेत्र परिवर्तन के कारण नाम हटाना या स्थानांतरित करना
- डुप्लिकेट या त्रुटिपूर्ण प्रविष्टियों को सुधारना
चुनाव आयोग के अनुसार, यह प्रक्रिया पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है ताकि चुनावों में केवल योग्य मतदाता ही भाग ले सकें।
दस्तावेजों को लेकर भ्रम और स्पष्टता
SIR को लेकर आम जनता में यह भ्रम फैल रहा है कि सभी वोटरों को अपने दस्तावेज दिखाने होंगे। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि:
- जिनका नाम पहले से मतदाता सूची में है, उन्हें कोई दस्तावेज दिखाने की आवश्यकता नहीं है
- यदि किसी व्यक्ति का नाम किसी कारणवश सूची से हट गया है, तो वह दस्तावेज प्रस्तुत कर पुनः नाम जुड़वा सकता है
- नए मतदाताओं को नामांकन के लिए आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे, जैसे आयु प्रमाण और निवास प्रमाण
बिहार में उठा विवाद और बंगाल में बढ़ता तनाव
बिहार में हाल ही में SIR प्रक्रिया के तहत लगभग 65 लाख वोटरों के नाम सूची से हटाए गए, जिससे राजनीतिक हलकों में तीव्र प्रतिक्रिया देखने को मिली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया और इसे जनविरोधी कदम बताया।
अब पश्चिम बंगाल में भी अगले साल विधानसभा चुनावों को देखते हुए SIR को लेकर सियासी संग्राम तेज हो गया है। तृणमूल कांग्रेस ने आशंका जताई है कि इस प्रक्रिया के जरिए विपक्षी दलों के समर्थकों को सूची से हटाया जा सकता है।
चुनाव आयोग की अगली रणनीति
सूत्रों के अनुसार, चुनाव आयोग इस साल के अंत तक कुछ राज्यों में SIR की प्रक्रिया शुरू कर सकता है। इसके लिए आयोग सभी राज्यों से तैयारियों की रिपोर्ट लेगा और समीक्षा के बाद देशव्यापी घोषणा की जा सकती है।
चुनाव आयोग ने यह भी संकेत दिया है कि SIR के तहत डिजिटल वेरिफिकेशन और घर-घर जाकर सत्यापन की प्रक्रिया को प्राथमिकता दी जाएगी ताकि किसी योग्य मतदाता का नाम गलती से न हटे।
निष्कर्ष
SIR को लेकर देशभर में राजनीतिक और प्रशासनिक हलचल तेज हो चुकी है। जहां एक ओर आयोग इसे मतदाता सूची की शुद्धता के लिए आवश्यक कदम मानता है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल इसे संभावित राजनीतिक हथियार के रूप में देख रहे हैं। आने वाले दिनों में इस प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर देश की नजरें टिकी रहेंगी।