‘सरकार की विवशता’: कांग्रेस ने गृहमंत्री विजय शर्मा के नक्सली माताओं से अपील को बताया ‘राजनैतिक प्रोपेगेंडा’, नक्सल नीति पर उठाए सवाल

कांग्रेस ने याद दिलाए अपने कार्यकाल के कार्य: 600 से अधिक गांव हुए थे नक्सल मुक्त, अबूझमाड़ में पुल बने, स्कूल खुले और 67 से अधिक वनोपजों की हुई खरीदी



रायपुर । छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा द्वारा नक्सल नेता हिडमा और देवा की माताओं से मिलकर उन्हें समर्पण के लिए अपील करने के आग्रह पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कांग्रेस ने इस कदम को भाजपा सरकार की “विवशता” और “राजनैतिक प्रोपेगेंडा” करार दिया है।

​प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि गृहमंत्री का यह कदम बताता है कि सरकार को अपनी नीति और पराक्रम पर भरोसा नहीं रह गया है, इसीलिए वह अब अनुनय-विनय पर उतर आई है।

शुक्ला ने तर्क दिया कि यदि उन दोनों (हिडमा और देवा) को अपनी मां या अभिभावकों की बात का इतना ही मान होता तो वे नक्सलवादी क्यों बनते? कौन माता-पिता चाहता है कि उनका पुत्र या पुत्री गलत रास्ते पर जाए? उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार नक्सलवाद के मामले में बिल्कुल भी गंभीर नहीं है।

नक्सल नियंत्रण पर दिग्भ्रमित सरकार

​कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष ने केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारों को नक्सल नियंत्रण के मामले में ‘दिग्भ्रमित’ बताया। उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और राज्य के गृहमंत्री विजय शर्मा दोनों के बयानों पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये बयान केवल सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की राजनीति की ओर इशारा करते हैं।

​सुशील आनंद शुक्ला ने सरकार के दावों पर सवाल उठाया, “सरकार दावा करती है कि नक्सली उनकी कार्यप्रणाली से प्रभावित होकर समर्पण कर रहे हैं, लेकिन सरकार का कोई भी जिम्मेदार नेता यह बताने की स्थिति में नहीं है कि पिछले दो सालों में सरकार ने नक्सल क्षेत्र के लिए क्या किया? बस्तर के रोजगार, शिक्षा और विकास के लिए सरकार ने क्या किया?”

कांग्रेस ने याद दिलाया ‘विश्वास, विकास, सुरक्षा’ का मूल मंत्र

​कांग्रेस ने अपने शासनकाल में नक्सल नियंत्रण के लिए किए गए कार्यों का विस्तृत ब्यौरा पेश किया। श्री शुक्ला ने दावा किया कि कांग्रेस सरकार के आने के बाद ‘विश्वास, विकास, सुरक्षा’ के मूल मंत्र पर काम किया गया, जिससे नक्सलवादी घटनाओं और नक्सलवाद पर प्रभावी कमी आई थी।

​उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के समय दूरस्थ क्षेत्रों में सुरक्षा कैंप बनाए गए, पहुंच मार्ग बनाए गए। विशेष रूप से अबूझमाड़ में दो पुल बनाए गए और 300 से अधिक स्कूलों को पुनः खोला गया। इसके अतिरिक्त, राशन दुकानें और अस्पताल खोले गए, और 67 से अधिक वनोपजों की खरीदी शुरू की गई।

​सुशील आनंद शुक्ला ने निष्कर्ष निकाला कि इन कार्यों के परिणामस्वरूप लोगों का भरोसा सरकार और सुरक्षा बलों के प्रति बढ़ा था, जिससे नक्सलवाद पर प्रभावी नियंत्रण हुआ। उनके अनुसार, 600 से अधिक गांव नक्सल मुक्त हुए थे, और नक्सली केवल बीजापुर के कुछ ब्लॉक और अबूझमाड़ तक सिमट कर रह गए थे।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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