गुजरात टोल मुक्त, छत्तीसगढ़ टैक्स युक्त,क्या यही है केंद्र का न्याय? : सुरेंद्र वर्मा

रायपुर । केंद्र सरकार द्वारा फास्ट्रेक एनुअल पास की घोषणा को प्राइवेट कार ऑनर्स की जेब में डकैती करार देते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि जब से केंद्र में मोदी की सरकार आई है, जनता को लूटने के नए-नए उपाय कर रही है। टोल के नाम पर हर साल 60 से 70 हजार करोड़ रुपए वसूल रही है केंद्र सरकार। पिछले साल 2023- 24 में यह आंकड़ा 61500 करोड़ था, राज्य हाईवे को मिलाकर फास्टैग से विगत वर्ष कुल वसूली 72000 करोड़ से अधिक की थी, मोदी राज में हर साल 10 से 15 फीसदी वसूली बढ़ रहा है।

हाल ही में 1 अप्रैल 2025 से टोल टैक्स की दरें लगभग 50 प्रतिशत तक बढ़ा दी गई, सर्वोच्च न्यायालय का स्पष्ट निर्देश है कि 60 किलोमीटर के भीतर दो टोल प्लाजा नहीं हो सकते लेकिन कहीं पर भी इन नियमों का पालन नहीं हो रहा है। छत्तीसगढ़ में तो कई टोल प्लाजा ऐसे हैं जिनकी दूरी 30 किलोमीटर से भी कम है। वाहनों के पंजीयन के समय ही रोड टैक्स के नाम पर भारी भरकम राशि एक मुफ्त ले ली जाती है, डीजल पेट्रोल पर 1 रुपए प्रति लीटर की दर से और एसयूवी पर उपकर (सेस), उसके बाद जगह-जगह टोल प्लाजा और जो पहले 10, 20 और 40 रुपए तक हुआ करते थे, आज 100, 200, 250 रुपए तक एक एक टोल प्लाजा में वसूले जा रहे हैं। कुम्हारी टोल प्लाजा में तो मियाद कब की खत्म हो चुकी है लेकिन वसूली आज भी अनवरत जारी है।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी और केंद्र की मोदी सरकार का फोकस जन सुविधा नहीं बल्कि धन की जबरिया उगाही है। मोटे कमीशन और अनाप-शनाप किए गए उगाही में हिस्सेदारी के लालच में निजी टोल प्लाजा को खुली छूट दी जा रही है। एक देश एक कानून की बात करने वाले भाजपा की सरकार में हर प्रदेश और हर हाईवे के लिए अलग नियम है एक तरफ जहां गुजरात में निजी वाहनों पर टोल नहीं लगता, वहीं उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा टोल वसूला जा रहा है। देश भर में लगभग 1070 टोल प्लाजा है, जिनमें से आधे से अधिक केवल मोदी राज में बनाये गये, 460 टोल केवल पिछले 5 वर्षो में ही बने है। सत्ता के संरक्षण में ही जनता को लूटने और उनकी जेब पर डकैती का कुत्सित प्रयास हो रहा है। अब एनुअल पास, वसूली का नया उपाय है।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि मनमाने तरीके से टोल वसूली से आम जनता त्रस्त है। एक वाहन मालिक वहां के रजिस्ट्रेशन के समय भारी भरकम रोड टैक्स भरे, फिर मेंटेनेंस और डीजल पेट्रोल का खर्चा उठा है और हर यात्रा पर टोल टैक्स पटाता है, और अब फास्ट्रेक के नाम पर तीन-तीन हजार की रकम अग्रिम में जमा कराना कहां का न्याय है?

हाईवे पर चलने में जितना खर्चा ईंधन का होता है, लगभग उसका 50 प्रतिशत टोल चुकाने पड़ रहे हैं, फिर भी केंद्र सरकार की आम जनता को लूटने की भूख कम नहीं हो रही है। यदि राजधानी रायपुर से मंदिर हसौद जाकर वापस आए तो जितना डीजल पेट्रोल में लगता है उससे ज्यादा तो टोल का खर्चा है। टोल के नाम पर आम जनता के जेब में डकैती डालना बंद करे सरकार।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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