भारत में बढ़ते मोटापे, मधुमेह (डायबिटीज) और हृदय रोगों पर लगाम लगाने के लिए भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब समोसा, जलेबी, कचौड़ी, पिज़्ज़ा, बर्गर जैसे लोकप्रिय लेकिन तैलीय और मीठे खाद्य पदार्थों पर सिगरेट जैसी ‘स्वास्थ्य चेतावनी’ दी जाएगी। इस कदम का उद्देश्य लोगों को स्वस्थ खान-पान के प्रति जागरूक करना और उन्हें बेहतर विकल्प चुनने के लिए प्रेरित करना है।
कब से लागू और किसने किया लागू
यह महत्वपूर्ण पहल स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी निर्देशों के बाद की जा रही है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह घोषणा 14 जुलाई, 2025 को की गई है। मंत्रालय ने सभी सरकारी कार्यालयों, कैंटीन, हॉस्टल और सार्वजनिक संस्थानों को इन निर्देशों का पालन करने के लिए कहा है। इसके तहत, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) और अन्य केंद्रीय संस्थानों को ऐसे पोस्टर और डिजिटल बोर्ड लगाने के निर्देश जारी किए गए हैं, जिन पर खाद्य पदार्थों में मौजूद तेल और चीनी की मात्रा स्पष्ट रूप से दर्शायी जाएगी।
मुख्य विशेषताएं
इस नई नीति के तहत कई महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिलेंगे:
- चेतावनी बोर्ड: सभी खाद्य पदार्थों के पास विशेष बोर्ड लगाए जाएंगे। इन बोर्डों पर स्पष्ट रूप से लिखा होगा कि एक समोसे या जलेबी में कितनी शक्कर, ट्रांस फैट और तेल मौजूद है।
- सिगरेट जैसी चेतावनी: ये चेतावनियां ठीक उसी तरह होंगी जैसे तंबाकू उत्पादों पर ‘स्वास्थ्य के लिए हानिकारक’ लिखा होता है, ताकि लोग इनके सेवन के संभावित खतरों को समझ सकें।
- जागरूकता का प्रसार: मंत्रालय ने AIIMS जैसे प्रमुख संस्थानों को निर्देश दिए हैं कि वे इन चेतावनियों को दर्शाने वाले पोस्टर और डिजिटल बोर्ड प्रदर्शित करें ताकि अधिकतम लोगों तक यह जानकारी पहुंच सके।
- विशेषज्ञों की राय को महत्व: विशेषज्ञों का मानना है कि आज के समय में चीनी और ट्रांस फैट नए ‘तंबाकू’ के समान हैं। लोगों को यह जानने का पूरा अधिकार है कि वे अपने आहार में क्या शामिल कर रहे हैं।
- CBSE के ‘शुगर बोर्ड’ निर्देश का विस्तार: यह पहल CBSE द्वारा जारी किए गए ‘शुगर बोर्ड’ निर्देशों के बाद आई है, जिसमें स्कूलों को छात्रों को अत्यधिक चीनी के सेवन से होने वाले खतरों के बारे में शिक्षित करने को कहा गया था।
बढ़ते मोटापे के चिंताजनक आंकड़े
भारत में मोटापे और संबंधित बीमारियों का प्रसार तेजी से बढ़ रहा है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है। अनुमान है कि 2050 तक लगभग 44.9 करोड़ भारतीय मोटापे का शिकार हो सकते हैं, जो भारत को इस मामले में अमेरिका के बाद दूसरा सबसे अधिक प्रभावित देश बना देगा। ये आंकड़े इस बात पर जोर देते हैं कि इस तरह के कड़े कदम उठाना कितना आवश्यक है।
विशेषज्ञों की राय
चिकित्सा विशेषज्ञों ने इस पहल का स्वागत किया है:
- हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अमर आमले ने कहा है कि “लोगों को यह जानना बेहद ज़रूरी है कि उनके रोज़ाना के नाश्ते में कितना ‘छिपा हुआ’ फैट और शक्कर होती है।” उनका मानना है कि यह जानकारी उन्हें स्वस्थ विकल्प चुनने में मदद करेगी।
- मधुमेह विशेषज्ञ डॉ. सुनील गुप्ता ने बताया कि “एक सामान्य गुलाब जामुन में पांच चम्मच तक चीनी हो सकती है, जो मधुमेह, उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) और हृदय रोगों जैसी गंभीर बीमारियों के खतरे को काफी बढ़ा सकती है।”
सरकार का दूरगामी उद्देश्य
इस पहल का मुख्य मकसद लोगों को स्वस्थ विकल्प चुनने के लिए प्रोत्साहित करना है। सरकार चाहती है कि लोग खाने से पहले इस बात पर विचार करें कि वे क्या खा रहे हैं और उसका उनके स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा। यह कदम फिट इंडिया मूवमेंट का एक अभिन्न अंग है और इसे स्वस्थ भारत के निर्माण की दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम माना जा रहा है।