रायपुर: हिंदू धर्म में सावन का महीना अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक रूप से फलदायक माना जाता है। यह माह भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दौरान की गई पूजा, व्रत और साधना विशेष फल देती है। वर्ष 2025 में सावन की पूर्णिमा 9 अगस्त को पड़ रही है, जो इस बार रक्षाबंधन के पर्व के साथ मनाई जाएगी।
सावन पूर्णिमा 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 8 अगस्त 2025, दोपहर 2:12 बजे
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 9 अगस्त 2025, दोपहर 1:24 बजे
- चंद्रोदय का समय: शाम 6:45 बजे
- स्नान मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 4:28 से 5:16 तक
इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है, जो पूजा और व्रत के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
पूजा विधि और व्रत के नियम
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, विशेष रूप से किसी पवित्र नदी या सरोवर में।
- भगवान शिव और विष्णु की विधिवत पूजा करें—बेलपत्र, फूल, धूप, दीप और जल अर्पित करें।
- गरीबों को अन्न, वस्त्र और आवश्यक वस्तुएं दान करें।
- पूर्णिमा व्रत रखें और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का समापन करें।
- “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें, जिससे मानसिक शांति और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
सावन पूर्णिमा का आध्यात्मिक महत्व
- यह दिन आत्मचिंतन, ध्यान और साधना के लिए आदर्श माना जाता है।
- मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं।
- इस दिन रक्षाबंधन का पर्व भी मनाया जाता है, जो भाई-बहन के प्रेम और सुरक्षा के संकल्प का प्रतीक है।
- दक्षिण भारत में इसे नारियली पूर्णिमा और अवनी अवित्तम, मध्य भारत में कजरी पूनम तथा गुजरात में पवित्रोपना के रूप में मनाया जाता है।
विशेष संयोग: शिववास योग
इस वर्ष सावन की शुरुआत 11 जुलाई को शिववास योग के साथ हो रही है, जिसमें भगवान शिव माता पार्वती के साथ कैलाश पर्वत पर विराजमान रहते हैं। इस योग में की गई पूजा से साधक को सौभाग्य, सुख-समृद्धि और मनचाहा वरदान प्राप्त होता है।