Breaking News: भारत से रिश्ते सुधारने में जुटा बांग्लादेश: चीन-पाकिस्तान के साथ ‘गठबंधन’ की अटकलों को किया खारिज

नई दिल्ली: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार भारत के साथ अपने संबंधों को सुधारने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है। अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में, बांग्लादेश ने अपने पारंपरिक सहयोगियों, पाकिस्तान और चीन, को स्पष्ट संदेश दिया है कि भारत के साथ रिश्तों की बहाली सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसी क्रम में, बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने गुरुवार (26 जून, 2025) को बांग्लादेश, चीन और पाकिस्तान के बीच किसी भी संभावित गठबंधन की संभावना से साफ इनकार कर दिया है।

चीन-पाक बैठक: ‘राजनीतिक नहीं, कनेक्टिविटी पर चर्चा’

हाल ही में चीन के कुनमिंग में चीन-दक्षिण एशिया प्रदर्शनी और चीन-दक्षिण एशिया सहयोग मंच के अवसर पर बांग्लादेश, चीन और पाकिस्तान के प्रतिनिधियों के बीच एक बैठक हुई थी। इस बैठक को लेकर चीन और पाकिस्तान ने अलग-अलग बयान जारी किए थे, जिससे भारत के साथ संबंधों पर असर पड़ने की अटकलें लगाई जा रही थीं। चीन ने जहां बैठक में तीनों पक्षों के बीच “सहयोग पर व्यापक चर्चा” और “अच्छे पड़ोसी के तौर पर आगे बढ़ने” पर सहमति की बात कही, वहीं पाकिस्तान ने इसे बांग्लादेश-चीन-पाकिस्तान के बीच बना एक अलग गुट बताया।

हालांकि, बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने अब इन अटकलों पर विराम लगा दिया है। मोहम्मद तौहीद हुसैन ने स्पष्ट किया कि यह बैठक राजनीतिक नहीं थी। जब उनसे पूछा गया कि क्या बैठक का उद्देश्य भारत को दरकिनार करना था, तो हुसैन ने दृढ़ता से कहा, “मैं आश्वस्त करता हूं कि पड़ोसी देश भारत को लक्ष्य करके ऐसा नहीं किया गया।” उन्होंने जोर देकर कहा कि बैठक में मुख्य रूप से कनेक्टिविटी और अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई थी, न कि किसी बड़े राजनीतिक या रणनीतिक गठबंधन पर।

बांग्लादेश के पूर्व कार्यवाहक विदेश सचिव रूहुल आलम सिद्दीकी ने इस बैठक में ढाका का प्रतिनिधित्व किया था, जिसमें चीनी उप विदेश मंत्री सुन वेइदोंग और पाकिस्तानी अतिरिक्त विदेश सचिव इमरान अहमद सिद्दीकी भी मौजूद थे।

भारत से संबंधों में सुधार की तात्कालिकता

मोहम्मद तौहीद हुसैन ने स्वीकार किया कि पिछली शेख हसीना सरकार के दौरान भारत के साथ जो “गहरे संबंध” थे, वह मौजूदा अंतरिम सरकार के साथ उस स्तर के नहीं हैं। यह एक महत्वपूर्ण स्वीकारोक्ति है, जो दर्शाता है कि बांग्लादेश भारत के साथ रिश्तों को पुनर्जीवित करने के लिए उत्सुक है। उन्होंने कहा, “हमें सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए। भारत और पिछली सरकार (अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की) के बीच जिस तरह के गहरे संबंध थे और जिस तरह के संबंध भारत ने स्थापित किए थे, हमारे साथ मौजूदा संबंध उस तरह के नहीं हैं।”

इस बयान से यह साफ है कि यूनुस सरकार भारत को एक महत्वपूर्ण पड़ोसी और भागीदार के रूप में देखती है, जिसके साथ संबंधों को मजबूत करना उसकी प्राथमिकता है। उन्होंने यहां तक कहा कि अगर भारत, बांग्लादेश और नेपाल के साथ ऐसी कोई बैठक करना चाहता है, तो ढाका उसमें भाग लेने में रुचि रखेगा। यह भारत की “पड़ोसी पहले” नीति के लिए एक सकारात्मक संकेत है।

भू-राजनीतिक निहितार्थ और आगे की राह

बांग्लादेश का यह कदम ऐसे समय में आया है जब वह एक राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। पिछले कुछ महीनों में देश में हुए विरोध प्रदर्शनों और राजनीतिक उठा-पटक के बाद अंतरिम सरकार सत्ता में आई है। इस स्थिति में, क्षेत्रीय स्थिरता और आर्थिक विकास के लिए भारत का सहयोग बांग्लादेश के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार यह संदेश देना चाहती है कि वह किसी भी एक देश के खेमे में नहीं है और सभी प्रमुख क्षेत्रीय शक्तियों के साथ संतुलित संबंध बनाए रखना चाहती है। भारत के लिए भी यह एक सकारात्मक विकास है, क्योंकि यह क्षेत्र में अपनी भू-राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने और चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने में मदद करेगा।

आने वाले समय में, यह देखना दिलचस्प होगा कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार भारत के साथ अपने संबंधों को सुधारने के लिए कौन से ठोस कदम उठाती है, और यह क्षेत्रीय समीकरणों को किस तरह प्रभावित करता है।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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