किंगदाओ, चीन: भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के किंगदाओ शहर में हो रही शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया, जहाँ उन्होंने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान और चीन को साफ शब्दों में चेतावनी दी.
उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ कोई समझौता नहीं करेगा और सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों को बख्शा नहीं जाएगा. यह यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि मई 2020 में भारत-चीन सीमा विवाद के बाद किसी वरिष्ठ भारतीय मंत्री की यह पहली चीन यात्रा है.
पाकिस्तान को खुले मंच से खरी-खोटी
बैठक में पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ की मौजूदगी में, राजनाथ सिंह ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को जमकर लताड़ा. उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का जिक्र करते हुए कहा कि निर्दोषों का खून बहाने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि “कुछ देश आतंकवाद का समर्थन करते हैं और सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीति का हिस्सा बना चुके हैं.”
राजनाथ सिंह ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का विशेष उल्लेख किया. उन्होंने बताया कि 22 अप्रैल, 2025 को ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) नाम के आतंकी संगठन ने निर्दोष पर्यटकों को मार डाला, जिनमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था. उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि इस संगठन का संबंध लश्कर-ए-तैयबा से है, जो पहले से ही संयुक्त राष्ट्र की आतंकी सूची में शामिल है. यह बयान पाकिस्तान पर सीधे तौर पर सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप था.
“आतंकवाद और शांति साथ-साथ नहीं चल सकते”
रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में कट्टरपंथ, उग्रवाद और आतंकवाद को आज के समय की सबसे बड़ी चुनौतियां बताया. उन्होंने दोहराया कि शांति और आतंकवाद एक साथ नहीं रह सकते और इसके लिए निर्णायक कार्रवाई आवश्यक है.
उन्होंने सभी SCO देशों से आह्वान किया कि आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना होगा. राजनाथ सिंह ने साफ कहा कि “जो देश आतंकवादियों को पनाह देते हैं और सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं, उनके दोहरे रवैये को अब और बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.” उन्होंने SCO से ऐसे देशों की खुलकर आलोचना करने और आतंकवाद के खिलाफ एक सख्त रुख अपनाने का आग्रह किया.
उन्होंने अपने संबोधन में वैश्विक सहयोग पर भी जोर दिया, यह कहते हुए कि “कोई भी देश कितना भी बड़ा क्यों न हो, अकेले काम नहीं कर सकता. सभी को मिलकर संवाद और सहयोग से काम करना होगा.” यह भारत की प्राचीन सोच ‘सर्वे जना सुखिनो भवन्तु’ (सबका कल्याण हो) को भी दर्शाता है.
चीन और रूस के साथ द्विपक्षीय बैठकों की संभावना
राजनाथ सिंह की इस यात्रा के दौरान उनके चीनी रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जून और रूसी रक्षा मंत्री के साथ अलग से द्विपक्षीय बैठकें होने की भी संभावना जताई जा रही है.
यह बैठकें भारत के लिए सीमा विवाद और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सीधी बातचीत का अवसर प्रदान करेंगी. राजनाथ सिंह के किंगदाओ पहुंचने पर भारत के राजदूत प्रदीप कुमार रावत ने एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया. चीनी रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जून ने व्यक्तिगत रूप से राजनाथ सिंह का स्वागत किया और बैठक से पहले सभी देशों के रक्षा मंत्रियों के साथ ग्रुप फोटो भी ली गई.
चीन पहुंचने से पहले, राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर कहा था कि वे वैश्विक शांति और सुरक्षा को लेकर भारत के दृष्टिकोण को साझा करने और आतंकवाद के खिलाफ मिलकर कदम उठाने की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
SCO और भारत की भूमिका
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) एक यूरेशियाई राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा संगठन है, जिसमें चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. भारत 2017 में इसका पूर्ण सदस्य बना. SCO की रक्षा मंत्रियों की बैठकें सदस्य देशों के बीच रक्षा सहयोग, क्षेत्रीय सुरक्षा और आतंकवाद से निपटने जैसे मुद्दों पर चर्चा के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करती हैं. भारत लगातार इस मंच का उपयोग आतंकवाद के खिलाफ अपनी ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति को दोहराने और सीमा पार आतंकवाद के मुद्दों पर पाकिस्तान जैसे देशों को घेरने के लिए करता रहा है.
राजनाथ सिंह का यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनाव बरकरार है, और ऐसे में यह यात्रा दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने की दिशा में एक कदम हो सकती है.