ईरान में ‘इज़रायल के अंत की घड़ी’ पर हमला और नेतन्याहू का विजय-दावा: 12 दिन के संघर्ष के बाद नाजुक युद्धविराम

तेहरान/यरुशलम: ईरान की राजधानी तेहरान में एक प्रतीकात्मक ‘क़यामत की घड़ी’ जो इज़रायल के कथित अंत की गिनती कर रही थी, हाल ही में इज़रायली मिसाइल हमले का निशाना बनी, जिससे इज़रायल और ईरान के बीच 12 दिन से चले आ रहे तनावपूर्ण संघर्ष का एक महत्वपूर्ण अध्याय समाप्त हुआ। इस हमले को इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के प्रशासन द्वारा एक “ऐतिहासिक जीत” के रूप में देखा जा रहा है, जिसने दोनों देशों के बीच एक अस्थिर लेकिन आवश्यक युद्धविराम की नींव रखी है।

‘क़यामत की घड़ी’ का महत्व:

तेहरान के फ़िलिस्तीन स्क्वायर में 2017 में ‘क़ुद्स दिवस’ पर स्थापित इस डिजिटल घड़ी का उद्देश्य 2040 तक इज़रायल के अस्तित्व के समाप्त होने की ईरानी सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली ख़ामेनेई की भविष्यवाणी को दर्शाना था। फ़ारसी, अरबी और अंग्रेज़ी में संदेश प्रदर्शित करने वाली यह घड़ी ईरान के कट्टरपंथियों के लिए एक वैचारिक प्रतीक और इज़रायल-विरोधी गतिविधियों का केंद्र बिंदु बन गई थी। यह इज़रायल के लिए एक निरंतर मनोवैज्ञानिक युद्ध का हिस्सा थी, जो उसके भविष्य को लेकर ईरान के दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित करती थी।

नेतन्याहू का लक्ष्य और इज़रायली हमला:

इज़रायली रक्षा मंत्री इज़रायल काट्ज़ ने पुष्टि की कि 23 जून, 2025 को इज़रायली वायुसेना ने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के निर्देश पर तेहरान में “इज़रायल डूम्सडे क्लॉक” को सफलतापूर्वक निशाना बनाया। यह हमला ईरान के रेवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के ठिकानों, आंतरिक सुरक्षा कार्यालयों, एविन जेल और मिसाइल सुविधाओं सहित कई प्रमुख ठिकानों पर हुए व्यापक इज़रायली हवाई हमलों का हिस्सा था। इज़रायल का दावा है कि इन हमलों का उद्देश्य ईरान की आंतरिक सुरक्षा बलों को कमजोर करना और उसके परमाणु कार्यक्रम तथा मिसाइल क्षमताओं से जुड़े “अस्तित्व संबंधी खतरों” को दूर करना था।

हालांकि, इज़रायल के इस दावे के तुरंत बाद, ईरान ने घड़ी के नष्ट होने से इनकार किया और एक वीडियो जारी किया, जिसमें दिखाया गया कि यह अभी भी काम कर रही है। यह घटना दोनों देशों के बीच चल रहे तीव्र प्रचार युद्ध को उजागर करती है।

युद्धविराम और अंतर्राष्ट्रीय हस्तक्षेप:

12 दिनों के तीव्र संघर्ष के बाद, जिसमें मिसाइल हमले और कथित तौर पर ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों की मौत (ईरान द्वारा इनकार किया गया) शामिल थी, इज़रायल और ईरान के बीच एक युद्धविराम की घोषणा की गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस युद्धविराम की मध्यस्थता का दावा किया, जिसे “पूर्ण और कुल” बताया गया है। कथित तौर पर क़तर की मध्यस्थता और अमेरिकी अधिकारियों की सीधी व अप्रत्यक्ष बातचीत ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

युद्धविराम चरणबद्ध तरीके से लागू हुआ: पहले ईरान ने सैन्य कार्रवाई बंद की, और उसके 12 घंटे बाद इज़रायल ने भी इसका पालन किया। हालांकि, युद्धविराम की घोषणा के ठीक बाद भी दोनों पक्षों द्वारा उल्लंघन के दावे किए गए, इज़रायल ने ईरान पर युद्धविराम समय के बाद भी मिसाइलें दागने का आरोप लगाया, जिसे ईरान ने ख़ारिज कर दिया। यह स्थिति युद्धविराम की नाजुकता को दर्शाती है।

निष्कर्ष और भविष्य की आशंकाएं:

इस संघर्ष और उसके बाद के युद्धविराम ने मध्य पूर्व में भू-राजनीतिक तनाव को और बढ़ा दिया है। जहां नेतन्याहू ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम और मिसाइल क्षमताओं को बाधित करने के लिए “ऐतिहासिक जीत” का दावा किया है, वहीं ईरान भी अपनी “वीरतापूर्ण प्रतिरोध” का दावा कर रहा है। इस युद्धविराम को दुनिया भर में राहत के साथ स्वागत किया गया है, लेकिन इसकी स्थिरता को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं। ‘क़यामत की घड़ी’ पर हमला एक प्रतीक के रूप में दिखाता है कि इज़रायल ईरान के प्रतीकात्मक और वास्तविक खतरों दोनों को कितनी गंभीरता से लेता है, जबकि युद्धविराम दर्शाता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर संघर्ष से बचने के लिए कितनी उत्सुकता से काम कर रहा है।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button