भूपेश बघेल का प्रहार: विघटन और विभाजन की राजनीति में ही बीते 11 साल

नई दिल्ली । कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के 11 साल पूरे होने पर इसे “विफलताओं और जनविरोधी नीतियों का स्मारक” करार दिया है। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस महासचिव भूपेश बघेल ने नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी राजनीतिक यात्रा विघटन और विभाजन पर आधारित रही है, जिससे विभिन्न समाजों में असुरक्षा की भावना बढ़ी है।
भूपेश बघेल ने भाजपा नेताओं द्वारा दलितों, आदिवासियों, महिलाओं और सेना के अधिकारियों के प्रति कथित अपमानजनक बयानों पर प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी को कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने सरकार पर विकास के झूठे आंकड़े प्रस्तुत करने और आर्थिक नीतियों में विफलता का आरोप लगाया।
आर्थिक नीतियों पर सवाल
कांग्रेस नेता ने नोटबंदी को “खोखला दावा” करार देते हुए कहा कि इससे न तो काला धन वापस आया, न ही आतंकवाद पर कोई प्रभाव पड़ा, बल्कि जनता को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्होंने दावा किया कि कोरोना महामारी के दौरान अपर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं के कारण लाखों लोगों की जान गई।
विदेश नीति पर आलोचना
कांग्रेस ने भारत की विदेश नीति पर भी सवाल उठाए, यह कहते हुए कि पहले भारत की वैश्विक स्थिति मजबूत थी, लेकिन अब वह कमजोर पड़ गई है। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के कई अंतरराष्ट्रीय दौरों के बावजूद, कोई भी देश भारत के समर्थन में खुलकर सामने नहीं आया।
लोकतंत्र और सामाजिक कल्याण योजनाओं पर सवाल
भूपेश बघेल ने कहा कि सरकार ने हर साल दो करोड़ रोजगार देने का वादा किया था, लेकिन सरकारी रिक्त पदों की स्थिति जस की तस बनी हुई है। इसके अलावा, उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), आयकर विभाग, सीबीआई और चुनाव आयोग जैसी संस्थाओं के कथित दुरुपयोग का आरोप लगाया।
उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्मान भारत योजना, उज्ज्वला योजना और नल-जल योजना की विफलताओं को रेखांकित करते हुए कहा कि सरकार महिला आरक्षण और जातिगत जनगणना को लेकर गंभीर नहीं है।
कृषि क्षेत्र में कठिनाइयाँ
कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार किसानों की आय दोगुनी करने और स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को लागू करने में असफल रही है। उन्होंने दावा किया कि किसान अपनी फसल औने-पौने दामों पर बेचने को मजबूर हैं और डीएपी खाद एवं बीज की कमी जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं।