दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे पर्यावरण संरक्षण एवं ईंधन की बचत की ओर अग्रसर,ट्रेनों के कोचों में हेड ऑन जनरेशन का उपयोग

रायपुर । ट्रेनों के पारंपरिक कोचों में पहले विद्युत ऊर्जा का उत्पादन डाइनो ड्राइव/अल्टरनेटर की मदद से किया जाता था। जो कोचों के एक्सल से यांत्रिक रूप से जुड़े होते थे।

विद्युत ऊर्जा ट्रेन की गति से उत्पन्न की जाती थी। उत्पन्न विद्युत ऊर्जा को कोचों के नीचे लगाए गए भारी बैटरी सेटों में संग्रहीत किया जाता था। ये बैटरियां ट्रेन के रुकने पर कोच को विद्युत ऊर्जा प्रदान करती थीं। यह प्रणाली हल्के विद्युत भार वाले कोचों के साथ काम कर सकती थी।

यात्रियों की सुविधाओं की बढ़ती मांग, जैसे वातानुकूलन प्रणाली और ऑन-बोर्ड पेंट्री कार सेवा वाले कोच, साथ ही गति क्षमता में वृद्धि ने एक प्रणाली को अपनाने पर जोर दिया जिसे एंड-ऑन जनरेशन प्रणाली कहा जाता है।

एंड-ऑन जनरेशन प्रणाली में ट्रेन के दोनों सिरों पर एक कोच (पावर कार) प्रदान किया जाता है । जिसमें 500 केवीए के दो डीजल जेनरेटर सेट लगे होते हैं। ये डीजी सेट विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए डीजल ईंधन का उपयोग करते हैं, जिससे 3-फेज 750 वोल्ट का उत्पादन होता है।

इस ऊर्जा का उपयोग कोचों में विद्युत उपकरणों के संचालन के लिए किया जाता है। डीजल तेल की खपत बहुत अधिक होती थी और यह बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न करता था, जो पर्यावरण के अनुकूल नहीं था। एक लंबी दूरी की ट्रेन (22 कोचों की संरचना) के लिए औसत ईंधन खपत लगभग 100 लीटर प्रति घंटा थी। इससे ट्रेन और स्टेशनों दोनों पर ध्वनि प्रदूषण भी होता था।

भारतीय रेलवे के विद्युतीकरण में वृद्धि ने बिना ट्रैक्शन बदले एक ट्रेन को दो गंतव्यों के बीच चलाने में मदद की है। विद्युत लोकोमोटिव के संचालन के लिए नई अत्याधुनिक 3-फेज तकनीक की शुरुआत ने हेड-ऑन जनरेशन प्रणाली (होटल लोड कन्वर्टर) के विकास का मार्ग प्रशस्त किया।

हेड-ऑन जनरेशन (एचओजी) प्रणाली इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव में प्रदान की जाती है जिसमें 500 किलोवॉट के दो होटल लोड कन्वर्टर होते हैं, जो 25 किलोवॉट एसी को 3-फेज 750 वोल्ट में परिवर्तित करते हैं। 3-फेज 750 वोल्ट की विद्युत आपूर्ति इंटर व्हीकल कपलर की मदद से ट्रेन में प्रदान की जाती है, ताकि कोचों में विद्युत उपकरणों का संचालन हो सके।

हेड-ऑन जनरेशन प्रणाली पर्यावरण के अनुकूल है क्योंकि यह कोचों के सिरों पर लगाए गए डीजल जेनरेटर सेट चलाने के लिए डीजल ईंधन के उपयोग को कम करती है।

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन में 22 ट्रेनें थीं, जो पहले एंड-ऑन जनरेशन/सेल्फ-जनरेशन प्रणाली पर चलती थीं। अब ये सभी ट्रेनें हेड-ऑन जनरेशन प्रणाली पर संचालित की जा रही हैं। इसके अतिरिक्त, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे होकर से गुजरने वाली अनेक ट्रेनें भी हेड ऑन जनरेशन सुविधा से लैस हैं।

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन में 13 यात्री लोकोमोटिव (इंजन) हैं जिनमें होटल लोड कन्वर्टर लगे हुए हैं। इन लोकोमोटिव्स का रखरखाव भिलाई इलेक्ट्रिक लोको शेड में किया जा रहा है।

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने पिछले तीन वर्षों में प्रति वर्ष औसतन ₹25 करोड़ की बचत की है और CO2 उत्सर्जन में प्रति वर्ष औसतन 11,000 टन की कमी की है।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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