छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दो गांव के लोगों ने रविवार को पहली बार पंचायत चुनाव में मतदान किया। यहां आजादी के बाद पहली बार लोगों ने एक जिम्मेदार नागरिक होने का उत्तरदायित्व निभाया। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, सुकमा जिले के केरलापेंडा गांव के लोगों ने राज्य में चल रहे पंचायत चुनाव के तीसरे चरण के दौरान कड़ी सुरक्षा के बीच वोट डाले।
#WATCH | Sukma: In the third phase of the Chhattisgarh Panchayat Elections, the citizens of Kerlapenda village cast their vote for the first time after Independence. (23.02) pic.twitter.com/WMtTYycGZV
— ANI (@ANI) February 23, 2025
इस दौरान लोग लाइन में खड़े दिखाई दिए। गांव की तस्वीरों में पुरुष और महिलाएं कड़ी सुरक्षा के बीच शांतिपूर्ण तरीके से लाइन में खड़े होकर वोट डालने के लिए अपनी बारी का इंतजार करते हुए दिखाई दे रहे हैं। नक्सल प्रभावित गांव के लोगों ने इससे पहले कभी वोट नहीं डाला था। इसी तरह का नजारा सुकमा जिले के पूवर्ती गांव में भी दिखा। यह गांव खूंखार नक्सली हिड़मा का पैतृक गांव है। यहां के लोगों में मतदान को लेकर काफी उत्साह दिखा।यहां पंचायत चुनाव के तीसरे चरण के दौरान सुरक्षा बलों की कड़ी सुरक्षा के बीच गांव के लोग वोट डालने के लिए लाइन में आकर खड़े हुए ।
पहली बार नेताओं को सुनाई समस्याएं
एक मतदाता ने बताया, ‘मैंने पहली बार मतदान किया है। हमने पहले कभी मतदान नहीं किया था।’ एक अन्य निवासी ने बताया कि केरलपेंडा गांव के लोगों ने पहली बार राजनेताओं के सामने अपनी समस्याएं रखीं और आस-पास के गांवों के लोग भी मतदान करने पहुंचे। गांव के निवासी ने कहा, ‘यहां 75 साल बाद मतदान हो रहा है। आस-पास के गांवों के लोग भी वोट डालने पहुंच रहे हैं। मुझे खुशी है कि हम विकास की ओर बढ़ेंगे। यह पहली बार है जब हमें नेताओं के सामने अपनी मांगें उठाने का मौका मिला।’
गांव के एक और वोटर ने कहा कि आज मैं बहुत खुश हूं कि हम देश के लोकतंत्र के एक फैसले में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। हमारा गांव भी विकास की ओर आगे बढ़ेगा। हमें अपने नेताओं से बात करने और अपनी मांगों को रखने का यह पहली बार मौका मिला।
गांव के लोगों ने अपने नेता से रोजगार के मौके देने पर बातचीत की। इसके पहले 20 फरवरी को दूसरे चरण के चुनाव के समय उग्रवाद की घटनाओं में बड़ा इतिहास रखने वाले बीजापुर जिले के लोगों ने भी वोटिंग में भाग लिया। वोट देने के लिए लोग घने जंगलों और नदियों सहित बहुत से मुश्किल रास्तों से होकर, 70 किलोमीटर की दूरी का सफर तय करके भोपालपटनम गांव के वोटिंग सेंटर्स पर वोट देने के लिए पहुंचे।