Video:नगरीय निकाय चुनाव 2025: बैठे है दलाल,बिक रही टिकिट-पूनम पांडे

रायपुर । नगरीय निकाय 2025 में नामांकन के बाद अब पार्षद प्रत्याशी का जनसंपर्क अभियान चालू हो गया है । इसी क्रम में भक्त कर्मा माता वार्ड 67 में भी सियासी हलचल तेज हो गई है ।

निर्दलीय प्रत्याशी पूनम पांडे का सघन जनसंपर्क अभियान जोर-शोर से जारी है। चुनावी दौरे के दौरान उन्हें वार्ड वासियों का भरपूर समर्थन और प्यार भी मिल रहा है।

जनसंपर्क के दौरान पूनम पांडे ने मीडिया से कहा कि 10 साल से मैं लगातार कांग्रेस से जुड़कर जमीनीस्तर पर कार्य कर रही हूं। मैने लगातार संगठन के आदेशानुसार कार्य किया है।लेकिन कहीं न कहीं मुझे निराशा हाथ लगी । आखिरी समय पर मेरा टिकिट काट दिया गया । किसी और को दे दिया गया।

पूनम ने कहा कि अब मैं किसी पार्टी विशेष के लिए नहीं खड़ी हूं, अब मैं जनता की बेटी बनकर कार्य करना चाहती हूं। जनता ने मुझ पर जितना विश्वास दिखाया है मैं जनता की आवाज बनकर खड़ी हूं। साथ ही यह भी कहा कि यह पार्षद पद का चुनाव नहीं है यह जनता के मुद्दों का, उनकी समस्याओं का, उनकी परेशानियों का चुनाव है। जब हम जमीन स्तर पर जनता के पास जाते हैं तो उनकी समस्याएं,दर्द समझ में आता है कि ये कितनी तकलीफ में रहते है ।

पूनम पांडे ने कहा कि जब कोई नेता बनकर आता है तो कहता है कि मैं एक नेता हूं पर जब कोई जनता के प्यार से उनकी बहू बेटी आगे आता है, और काम करने की हिम्मत दिखाती है ,तब यह कहते हैं कि यह मेरे घर की बेटी है। इसलिए मैं उनकी बेटी बनकर ,बहन बनकर काम करना चाहती हूं। इसलिए मैंने निर्दलीय नामांकन भरा है और कांग्रेस का दामन छोड़ दिया है।

कांग्रेस से टिकट काटे जाने के सवाल पर कहा कि यह किसी से छुपा नहीं है कि यहां पर टिकट बेचा जाता है। पांडे ने यह भी कहा कि कोई भी पार्टी बुरी नहीं होती। यहां पर बैठने वाले लोग बुरे होते हैं यहां पर दलाल बैठे हुए हैं जो टिकट बेच रहे हैं। साथ ही यह भी कहा कि संगठन में बैठे कुछ लोग कहीं ना कहीं पैसों के बल पर या तो नेता अपनी पत्नियों को टिकट देते हैं या पार्षद अपनी पत्नियों को देते हैं यहां राजनीति में सिर्फ पैसे का खेल है। लेकिन जनता के हक के लिए यदि कोई लड़ाई लड़ना चाहता है तो वह निर्दलीय भी लड़ता है उसे किसी पार्टी की जरूरत नहीं पड़ती।

आगे जाकर किसी पार्टी का दामन थामने के सवाल पर कहां की यह बहुत गमगीन बात है और बहुत सोचने वाला विषय है । यदि आज मैं जनता के लिए निर्दलीय खड़ी हूं तो ना मैं कांग्रेस में जाऊंगी और ना ही मैं भाजपा में। क्योंकि मुझे यदि जनता के बनकर रहना है तो मैं तो मुझे जनता के लिए आवाज भी उठाना है। यदि मैं पार्षद का चुनाव जीतकर आई हूं तो सिर्फ पूनम जनता की ही रहेगी और जो यह लोग बोलेंगे वही पूनम पांडे करेंगी।

जनता के लिए पहला कार्य क्या करेंगे आपकी रणनीति क्या है पर पूनम पांडे ने कहा कि सबसे पहले यहां का जो विकास रुका हुआ है उसे पर कार्य करूंगी साथ ही जो गड्ढे हैं उन्हें भरवाऊंगी जिससे हादसे कम होंगे। साथी यह भी कहा कि वार्ड की जो निरंतर समस्याएं हैं जिनसे यह जूझ रहे हैं उनके लिए काम करूंगी उन समस्याओं को दूर करूंगी।

पूनम पांडे ने कहा कि इसके पहले जितनी बार पार्षद बने हैं कभी भी पार्षद वार्ड में उनकी समस्याओं को जानने नहीं आया। यह भी कहा कि वार्ड की समस्या मेरी समस्या है उनकी बहू बेटियां मेरी बहू बेटियां हैं।

कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशी में से आप किसे अपनी चुनौती मान रही हैं के सवाल पर कहा कि मैं किसी को अपनी चुनौती नहीं मानती क्योंकि मेरे लिए सबसे बड़ा जनता का प्यार है। क्योंकि सबसे बड़ा जनता जनार्दन ही है। इनका प्यार की सब कुछ है। जैसा जनता चाहेगी वैसा ही होगा ।

पूनम ने कहा कि, कहा जाता है ना बीजेपी, ना कांग्रेस जनता को सिर्फ वैसा व्यक्ति चाहिए जो इनके बीच रहे और इनका कार्य करें, 24 घंटे उनकी बात सुनने वाला होना चाहिए और इनका एक बार में फोन उठाने वाला होना चाहिए। इसलिए यह सब जनता पर छोड़ती हूं क्यों कि उनका प्यार मेरे साथ है। मैं आगे निरंतर इनके लिए कार्य करूंगी।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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