दमोह । मध्यप्रदेश में धर्मांतरण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इन पर लगाम लगाने में सरकार भी नाकाम नजर आ रही है। मध्य प्रदेश के दमोह जिले में सबसे ज्यादा धर्मांतरण के मामले देखे जाते है । फिर दमोह जिले से एक बड़ी खबर सामने आई है, जहां एक घर में 12 स्कूली बच्चों को अवैध रूप से रखे जाने की सूचना पर पुलिस ने छापेमारी कर सभी बच्चों को रेस्क्यू किया।
दमोह के क्रिश्चियन कालोनी में कोतवाली पुलिस ने जब एक मकान में छापा मारा तो उनके तो होश ही उड़ गए। पुलिस को मकान के अंदर 12 मासूम नाबालिग बच्चे मिले। बता दें कि नाबालिगों के घर में रखने संबंधित कोई दस्तावेज भी उपलब्ध नहीं थे। मानव अधिकार आयोग के पत्र के आधार पर पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई की। इस कार्रवाई के बाद पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया। इस शिकायत के आधार पर पुलिस ने देर रात रेड की कार्रवाई की।
अब ऐसा माना जा रहा है कि इन बच्चे का धर्मांतरण कर ईसाई धर्म में शामिल करने की आशंका है। मौके पर पुलिस और महिला एवं बाल विकास की टीम मौजूद है। जहां इन बच्चों को रखा गया था वो मकान प्रवीण शुक्ला नाम के युवक का बताया जा रहा है। ये पूरा मामला कोतवाली थाना क्षेत्र के तहत आने वाले क्रिश्चियन कॉलोनी का है।
जानकारी अनुसार बताया जा रहा है कि पुलिस और प्रशासन को मानवाधिकार नई दिल्ली का एक पत्र मिला था, जिसमें राष्ट्रीय मानवाधिकार ने उल्लेख किया है कि, मानवाधिकार को एक शिकायत पत्र प्राप्त हुआ है, जिसमें कहा गया है कि,दमोह शहर के क्रिश्चियन कॉलोनी स्थित प्रवीण शुक्ला के मकान में बड़ी संख्या में नाबालिक बच्चे धर्मांतरण हेतु रखे गए है। जिनके धर्मान्तरण से सम्बंधित वीडियो बनाये जाते है,जिसको लेकर प्रशासन तथा पुलिस तत्काल एक्शन लेकर कार्यवाही करें और एक सप्ताह के अंदर राष्ट्रीय मानवाधिकार नई दिल्ली को उक्त संबंध में जांच कर रिपोर्ट भेजें।
राष्ट्रीय मानवाधिकार के लेटर के बाद तत्काल ही दमोह पुलिस एक्शन में आई । जैसे ही पुलिस प्रवीण शुक्ला नाम के व्यक्ति के घर पहुंची और तलाशी लेनी चाही, मकान मालिक ने पहले अपने वकील को बुला लिया। इस दौरान पुलिस और वकील के बीच बहस भी हुई, लेकिन पुलिस ने सख्ती दिखाते हुए आखिरकार तलाशी अभियान शुरू किया। इस दौरान 12 बच्चे बरामद किए गए, जिन्हें एक हॉस्टल जैसी व्यवस्था में रखा गया था।
रेस्क्यू के तुरंत बाद, पुलिस ने महिला एवं बाल विकास विभाग, बाल कल्याण समिति और मानव अधिकार आयोग के अधिकारियों को मौके पर बुलाया। प्राथमिक जांच में पता चला कि कुछ बच्चे दमोह जिले के हैं, जबकि कुछ छत्तीसगढ़ से आए हैं। पुलिस ने सभी बच्चों को रात 4 बजे सरकारी हॉस्टल में शिफ्ट कर दिया।
प्रवीण शुक्ला, जिनके घर से बच्चों को बरामद किया गया, ने पुलिस के सामने बयान दिया कि ये सभी बच्चे नव जागृति स्कूल के छात्र हैं और उनके माता-पिता ने इन्हें किराए पर रहने के लिए यहां रखा था। उन्होंने यह भी बताया कि सभी के पास किरायानामा है, लेकिन उनकी गलती यह रही कि उन्होंने पुलिस को इसकी सूचना नहीं दी।
बताया जा रहा है कि प्रवीण शुक्ला पूर्व मे अपना धर्म परिवर्तन कर ईसाई धर्म अपना चुके है और दमोह जिले के बटियागढ़ तहसील अंतर्गत आने वाले ग्राम बरी सातपुर में चर्च नुमा मकान बनाकर लगातार प्रेयर कर कई लोगो का धर्मान्तरण कराने के आरोप भी इनपर लगते रहें है। वहीं इनके पास एक कार भी रखी हुई है। जिसमे राष्ट्रीय मानवाधिकार सुधार संगठन लिखा हुआ है। बहरहाल पुलिस हर तरफ से मामले कि बारीकी से जाँच कर रही है।
इस मामले में शिकायतकर्ता बाल कल्याण समिति के सदस्य दीपक तिवारी ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि इस घर में बच्चों को ईसाई धर्म की शिक्षा दी जा रही थी और धर्मांतरण का बड़ा खेल चल रहा था। इसी के आधार पर पुलिस को सूचना दी गई और छापा मारा गया।
कोतवाली थाना प्रभारी आनंद राज, जो इस रेड के प्रभारी थे, ने बताया कि राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के पत्र के बाद यह छापेमारी की गई। मामला संदेहास्पद लग रहा है, इसलिए महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम गहराई से जांच कर रही है। फिलहाल बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की गई है और पुलिस सभी दस्तावेजों की जांच कर रही है। आगे की कार्रवाई जांच के नतीजों पर निर्भर करेगी।
वही मकान मालिक शुक्ला का कहना है कि बच्चे पहले से ही क्रिश्चियन है तो इनका धर्म परिवर्तन कैसे किया जा सकता है ।