जय भीम पदयात्रा भाजपा का राजनैतिक पाखंड है, इन्हीं के पूर्वजों ने बाबा साहब के पुतले और संविधान की प्रतियां जलाई:सुरेंद्र वर्मा

रायपुर । भारतीय जनता पार्टी के द्वारा “जय भीम पदयात्रा” और “अंबेडकर जयंती अभियान” को राजनैतिक नौटंकी करार देते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि यह पूरा कार्यक्रम भाजपा का राजनैतिक पाखंड है। असलियत यह है कि संघी भाजपाइयों के मन में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर, संविधान और दलितों के प्रति हिकारत है, नफ़रत है।

इन्हीं के पूर्वज आरएसएस और महासभा ने बाबा साहब के पुतले जलाए, 12 दिसंबर 1949 को घटित संघीयों का कुकृत्य इतिहास के पन्नों में दर्ज है। संघीयों ने न केवल बाबा साहब के पुतले जलाए बल्कि संविधान की प्रतियां भी जलाई, तिरंगे को अपशगुन बताकर अपमानित किया। आज भी भाजपा सरकारों में दलितों के प्रति अन्याय और अत्याचार चरम पर है।

इसी छत्तीसगढ़ में बलौदाबाजार मामले में सैकड़ो निर्दोष युवा जेल भेजे गए। पूर्ववर्ती रमन सिंह की सरकार के समय अनुसूचित जाति वर्ग के आरक्षण में कटौती की गई कांग्रेस की सरकार ने नया विधायक लाकर उन्हें अधिकार देने के लिए सर्वसम्मति से पास करके राजभवन भेजा लेकिन भारतीय जनता पार्टी की दुर्भावना के चलते वह आरक्षण विधायक आज तक राजभवन में कैद है, विष्णुदेव साय सरकार जयंती अभियान और जय भीम पदयात्रा का पाखंड करने के बजाय अनुसूचित जाति वर्ग को उनके हक का आरक्षण, उनके अधिकार और उचित सम्मान दे।

प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भाजपा नेताओं की कथनी और करनी में अंतर है। अनुसूचित जाति वर्ग अपना अधिकार चाहता है, राजनीतिक इवेंट नहीं। साय सरकार द्वारा हाल ही में जारी निगम, मंडल, आयोग, बोर्ड में अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को स्थान देने के लायक नहीं समझा।

वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के सबसे वरिष्ठ विधायक पुन्नूलाल मोहले अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं, आज साय सरकार में उनकी क्या भूमिका है? छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनने के बाद से अनुसूचित जाति वर्ग के लिए संचालित विभिन्न कार्यक्रमों के बजट में कटौती कर दी गई, बैकलॉक भर्तियां रोक दी गई।

राजस्थान में नेता प्रतिपक्ष के मंदिर प्रवेश पर भाजपा नेताओं के द्वारा गंगाजल से धोना, हरियाणा में केवल गेंद छू लेने पर दलित बच्चे का अंगूठा काट लेना, हाथरस में दलित बेटी के साथ अत्याचार, दलित समाज के दूल्हे के घोड़ी चढ़ने पर निर्मम पिटाई और मध्य प्रदेश में भाजपा नेता द्वारा दलित के सिर पर पेशाब करना दलितों के प्रति इनके मन में उपेक्षा और असम्मान को प्रदर्शित करता है। भाजपा की सरकारों ने हमेशा आरक्षित वर्गों के अधिकारों को कुचलने का काम किया है।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भाजपा केवल झूठ और अफवाह की राजनीति करती है। विगत दिनों भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेई ने रायपुर आकर बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की उपलब्धियां को आरएसएस और भाजपा के साथ जोड़कर उनके विरासत का मजाक उड़ाया। संघीयों के पाप को कांग्रेस पर मढ़ने का कुत्सित प्रयास किया।

यह ऐतिहासिक सत्य है कि कांग्रेस ने ही बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की योग्यता और क्षमता के अनुरूप महत्वपूर्ण पद, सम्मान और जिम्मेदारी दी। 1946 में संविधान सभा का गठन हुआ 1947 में पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की सलाह पर ही संविधान सभा के प्रारूप समिति का डॉ अंबेडकर को अध्यक्ष बनाया गया।

पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के पहले कैबिनेट में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर देश के प्रथम कानून मंत्री बनाए गए। कांग्रेस की सरकार के कारण ही उन्हें राष्ट्रीय मंच पर आने का अवसर मिला, संविधान निर्माण और सामाजिक सुधारो के लिए नेहरू जी के साथ मिलकर काम किये। संघी उस समय भी अंबेडकर का विरोध करते थे। तत्कालीन समय में व्याप्त धार्मिक कुरीतियों को दूर करने के लिए नेहरू के साथ मिलकर अंबेडकर ने हिंदू कोड भी लाया, जिसका आरएसएस और महासभा ने पुरजोर विरोध कर पूरे देश में पुतले जलाएं, जिससे व्यथित होकर न केवल अंबेडकर ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया बल्कि हिंदू धर्म से भी उनका मोहभंग हो गया।

संघीयों के विरोध और षड्यंत्रों के चलते ही बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को बौद्ध धर्म अपनाना पड़ा। संगठित झूठ बोलकर अंबेडकर जयंती अभियान चलाने से पहले संघी और भाजपाइयों को अंबेडकर और अनुसूचित जाति समाज से माफी मांगनी चाहिए।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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