दिल्ली उच्च न्यायालय ने अमेज़न को ट्रेडमार्क उल्लंघन पर लताड़ा, 39 मिलियन डॉलर का लगाया जुर्माना : अमर पारवानी

रायपुर । देश के सबसे बड़े व्यापारिक संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, एवं कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल ने बताया कि अमेज़न द्वारा भारतीय कानूनों की बार-बार अवहेलना किए जाने के एक और मामले में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने ई-कॉमर्स दिग्गज अमेज़न पर बेवरली हिल्स पोलो क्लब ट्रेडमार्क का उल्लंघन करने के लिए 39 मिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया है। यह फैसला तब आया जब अमेज़न इंडिया प्लेटफॉर्म पर इसी ब्रांड के समान लोगो वाले वस्त्रों की बिक्री पाई गई, जिससे कंपनी के इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट के उल्लंघन का मामला बना है।

कन्फ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी ने बताया कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने अमेज़न (AMZN.O) की एक इकाई को ’39 मिलियन डॉलर का हर्जाना भरने का आदेश दिया है, क्योंकि “बेवरली हिल्स पोलो क्लब“ ट्रेडमार्क वाले समान ब्रांडिंग के वस्त्र अमेज़न के भारत प्लेटफॉर्म पर बेचे जा रहे थे।

इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को कड़े ट्रेडमार्क अनुपालन उपायों को लागू करने और ब्रांड की अखंडता की रक्षा करने की सख्त आवश्यकता है। इस निर्णय का भारत में संचालित ऑनलाइन मार्केटप्लेस पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा और यह रेखांकित करेगा कि प्लेटफॉर्म्स को नकली और अवैध उत्पादों की बिक्री के लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा। यह निर्णय ब्रांड मालिकों के लिए एक बड़ी जीत है और डिजिटल युग में भारतीय न्यायपालिका की बौद्धिक संपदा अधिकारों की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

पारवानी एवं दोशी ने आगे बताया कि अमेज़न का कानूनी उल्लंघनों का एक लंबा इतिहास रहा है, जिसमें नकली उत्पादों की बिक्री, कर चोरी, और भारत के ई-कॉमर्स नियमों का उल्लंघन शामिल है। बार-बार चेतावनियों और कानूनी कार्रवाई के बावजूद, यह प्लेटफॉर्म छोटे व्यवसायों का शोषण करने, उपभोक्ताओं को गुमराह करने और भारतीय कानूनों की अवहेलना करने में लिप्त रहा है।

यह ताजा न्यायालय का निर्णय अमेज़न की गैर-जिम्मेदार व्यावसायिक प्रथाओं और प्रभावी अनुपालन उपायों को लागू करने में विफलता का प्रमाण है। भारत में संचालित ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को अपने मंच पर होने वाली अवैध और अनैतिक गतिविधियों के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। अब समय आ गया है कि सख्त नियामक निगरानी और दंडात्मक कार्रवाई की जाए ताकि बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत के व्यापार तंत्र को कमजोर करने और व्यापारियों, उपभोक्ताओं और ब्रांड मालिकों के अधिकारों का उल्लंघन करने से बाज आएं।

कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने भारतीय सरकार और नियामक संस्थाओं से आग्रह किया है कि अमेज़न की बार-बार होने वाली गलत गतिविधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें और भारतीय व्यवसायों को विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों के अनैतिक और अवैध व्यापारिक तौर-तरीकों से बचाने के लिए उचित नीतियां लागू करें।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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