आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के तीन बच्चे पैदा करने की सलाह और भारत में घटती जनसंख्या दर पर दिए बयान पर कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने तीखा पलटवार किया है।
उन्होंने बेरोजगारी की ओर इशारा करते हुए कहा कि कोई भी अपनी बेटियों की शादी बेरोजगार पुरुषों से नहीं करना चाहता। उन्होंने सवाल उठाया, “क्या हम खरगोश हैं जो बार-बार बच्चे पैदा करें?”
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, रेणुका ने कहा, “देश में बेरोजगार पुरुष शादी नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि कोई भी अपनी बेटी की शादी ऐसे शख्स से नहीं करना चाहता जो बेरोजगार हो। उनके पास रोजगार नहीं है । वे अपने परिवार का पालन-पोषण कैसे करेंगे? पैसा नहीं है। बुजुर्ग माता-पिता अब भी अपने बच्चों का ध्यान रख रहे हैं और वे कह रहे हैं कि और बच्चे पैदा करो।क्या हम खरगोश हैं, जो बार-बार बच्चे पैदा करें? जो ऐसा कह रहे हैं, वे खुद कितने बच्चों का पालन कर सकते हैं? उनका क्या अनुभव है? हम सब जानते हैं।”
महंगाई और इलाज के खर्च पर उठाए सवाल
कांग्रेस नेता ने खाने-पीने की चीजों में मिलावट, आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी और बढ़ती यात्रा लागत की ओर भी ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा, “अगर कोई बीमार हो जाता है और अस्पताल में भर्ती होता है तो इलाज के खर्च बहुत अधिक होते हैं।”
रेणुका चौधरी का यह बयान मोहन भागवत की ओर से नागपुर में एक कार्यक्रम में दिए गए बयान के बाद आया है। आरएसएस प्रमुख ने कहा था कि भारत में गिरती जनसंख्या एक गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा था, “जनसांख्यिकीय अध्ययनों से पता चलता है कि जब किसी समाज की कुल प्रजनन दर 2.1 से नीचे गिरती है, तो वह समाज धीरे-धीरे समाप्त होने की कगार पर पहुंच जाता है।”
भागवत का बयान : ‘2.1 से अधिक होनी चाहिए प्रजनन दर’
मोहन भागवत ने कहा था, “कई भाषाएं और संस्कृतियां इस मुद्दे के कारण पहले ही खत्म हो चुकी हैं। इसलिए, प्रजनन दर 2.1 से ऊपर बनाए रखना आवश्यक है। परिवार समाज का एक अभिन्न हिस्सा है और हरेक परिवार देश के लिए एक अहम आधारशिला है।”
उन्होंने कहा, “हमारे देश की जनसंख्या नीति, जो 1998 या 2002 में तैयार की गई थी, साफ तौर से कहती है कि कुल प्रजनन दर 2.1 से कम नहीं होनी चाहिए। जब हम 2.1 कहते हैं, तो इसका मतलब है कि यह थोड़ा अधिक हो, कम से कम तीन. (जनसंख्या) विज्ञान ऐसा ही कहता है।”